सुलगते एहसास में शब्दों के जिस्म पर एक धुँआ सी है जिंदगी !!
चाहो तो
ख़ुशबू
एहसास
और चाँद बना दो
तुमसे होकर गुज़र जाऊँ
और तुम
ख़ुशबू और
चाँद से भर जाओ
ना ‘तुम’ जिस्म
और ना ‘मैं’जिस्म
हमारा खोना क्या
और पाना क्या
नदी और पुल का प्रेम
ईश्वरीय प्रेम है ।